कोई हंस रहा कोई रो रहा|| अकबर अलाहाबादी

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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है ...

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